Saturday, January 21, 2012

फेसबुक की लत लोगों को बनाता है दुखी......

लंदन.जो लोग सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर दिन में कई बार भ्रमण करते हैं,उनमें दुखी रहने की प्रवृत्ति जन्म लेने लगती है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। समाचार पत्र 'डेली मेल'ने ऊटा वैली विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन के आधार लिखा है कि सोशल नेटवर्किं ग साइट के प्रयोग से लोगों को लगता है कि दूसरे लोग उनकी तुलना में अधिक खुश हैं। अध्ययन में यह बात सामने आई कि फेसबुक प्रयोग करने वाले लोगों में अपने पेज पर हंसते मुस्कराते चेहरे लगाने की प्रवृत्ति होती है, जिसके माध्यम से वे दूसरों को कमजोर संदेश देने का प्रयास किया जाता है। इसके विपरीत जो लोग वास्तविक जीवन में सामाजिक होते हैं वे आभाषी दुनिया में जीने वाले लोगों की तुलना में कम दुखी होते हैं। यह निष्कर्ष वैज्ञानिक पत्रिका 'साइबरसाइकोलॉजी, बिहैवियर एंड सोशल नेटवर्किं ग' में प्रकाशित हुआ।

एसोचैम सर्वे: फेसबुक, ट्विटर से युवाओं का मोह भंग

बेंगलुरू. देश के शहरी इलाकों में सोशल मीडिया के प्रति युवाओं का मोहभंग होने लगा है। अब वे फेसबुक, गूगल प्लस, ट्विटर, आर्कुट, लिंकडिन, माईस्पेस, फ्रेंडस्टर, आई-5 और बिग अड्डा जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर कम समय दे रहे हैं। उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा अहमदाबाद, बेंगलुरू, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और पुणे में 12 से 25 वर्ष की आयु वर्ग के 2,000 युवाओं के बीच कराए गए सर्वेक्षण में युवाओं में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के प्रति रुझान में कमी देखी गई। यह सर्वेक्षण पिछले साल अक्टूबर और दिसंबर के बीच कराया गया। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने सर्वेक्षण के नतीजे जारी करते हुए बताया कि युवाओं के बीच सोशल मीडिया के प्रति दिलचस्पी घटी है और उन्होंने अपनी डिजिटल पहचान बढ़ाने के बजाय अन्य महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। सर्वेक्षण में करीब 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर समय बिताना कम कर दिया है और अब वे अपने पसंदीदा सोशल नेटवर्क को लेकर उतने उत्साहित नहीं हैं जितना शुरुआती दिनों में हुआ करते थे।

टैंकर की यह हालत देख, खिसक गई पैरों तले जमीन

पानीपत. मतलौडा .इसराना हलके के इनेलो विधायक कृष्ण लाल पंवार के गांव भालसी स्थित इंडियन ऑयल के लक्ष्मी ऑटो सर्विस पेट्रोल पंप पर खड़े तेल टैंकर के गुरुवार रात चोरों ने स्टेपनी समेत सभी सात टायर उतार लिए। टायरों की कीमत करीब 3 लाख आंकी जा रही है। पेट्रोल पंप संचालक अनिल पंवार के बयान पर मतलौडा थाना पुलिस ने अज्ञात चोरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चोरों की तलाश शुरू कर दी है। उक्त तेल टैंकर विधायक कृष्ण लाल पंवार का ही है। जो पिछले 6 दिन से पेट्रोल पंप पर ही खड़ा है। गुरुवार रात पेट्रोल पंप पर तीन कर्मचारी सुशील, नरेश व रणधीर की ड्यूटी थी। धुंध ज्यादा व ठंड होने के कारण तीनों कर्मचारी कमरे में बैठे टीवी देखते रहे। धुंध इतनी ज्यादा थी कि 10 कदम से आगे कुछ भी दिखाई नहीं देता था। सुबह 7 बजे तेल डालने के लिए जब एक कर्मचारी जनरेटर चलाने गया तो टैंकर की हालत देख उसके पैरों तले जमीन खिसक गई, उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि पूरे टैंकर की ये हालत हो जाएगी। एक-दो नहीं चोर ने टैंकर के सभी टायर गायब कर दिए थे। पुलिस सरगर्मी से चोरों की तलाश कर रही है।

Thursday, January 19, 2012

फेसबुक क्रांति के नाम रहा बीता साल....


आज के समय में फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स द्वारा एक बहुत बड़ा राजनीतिक रोल निभा रहा है। केवल अरब देशों में ही नहीं बल्कि चीन और दूसरे देशों में भी यह एक राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसका फैलाव इतना ज्यादा हो गया है कि लोकतांत्रिक देशों में भी इस पर नियंत्रण की कोशिशें चल रही हैं।जानकारों का कहना है कि होस्नी मुबारक सरकार द्वारा 27 जनवरी को नेट और मोबाइल पर प्रतिबंध लगाना एक बहुत बड़ी भूल थी और इसने लोगों को एक जगह इकट्ठा होने का मौका दे दिया जो अंतत: उनके शासन के पतन तक चला। मिस्र के तहरीर चौंक पर नाराज लोगों का तांता लगता चला गया और मुबारक की शासन से पकड़ ढीली होती चली गई।

लोगों ने इस साइट्स का खूब जमकर इस्तेमाल किया ताकि सरकार की हकीकत को सामने लाया जा सके। एक युवा ने मिस्र के एक पुलिस अधिकारी को अपने पुलिस थाने से ड्रग बेचते हुए दिखाने वाला एक वीडियो यू-ट्यूब पर डाल दिया। दरअसल इन देशों में लोग बहुत समय से दबे हुए थे और सरकारी अत्याचारों को झेल रहे थे। लेकिन ज्यों ही ट्यूनीशिया में क्रांति हुई लोगों में एक उत्साह जाग गया और लोग सड़कों पर उतर आए।

सरकारें लोगों का मूड भांपने में असफल रही और गलतियों पर गलतियां करती रही। जिसका परिणाम आखिरकार तानाशाहों की सत्ता के खात्मे के रूप में सामने आया। जहां तक लोकतांत्रिक देशों की बात है तो वहां सरकारें अब इन साइट्स के डर रही हैं।

गूगल, फेसबुक को थोड़ी राहत......


नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल इंडिया और फेसबुक इंडिया की उन याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है। आदेश में कथित आपत्तिजनक सामग्री परोसे जाने के कारण इन पर मुकदमा चलाने को कहा गया था।

गुरुवार को जारी आदेश में जस्टिस सुरेश कैत ने कहा, ‘इस मामले पर सुनवाई दो या तीन फरवरी को होने की संभावना है।’

गूगल और फेसबुक ने इससे पहले हाई कोर्ट से कहा कि उनके लिए कंटेंट पर नियंत्रण रख पाना संभव नहीं है, क्योंकि विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए लाखों लोग इन वेबसाइटों का उपयोग करते हैं।

याचिकाकर्ता विजय राय ने निचली अदालत में याचिका दायर कर 21 वेबसाइटों से आपत्तिजनक सामग्री हटवाने का अनुरोध किया था। इनमें 12 वेबसाइट विदेशी कंपनियों की हैं।

निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 292 (अश्लील किताबों और सामग्रियों की बिक्री) और 293 (युवाओं के लिए अश्लील वस्तुओं की बिक्री) के तहत दंडनीय अपराध के आरोप में कंपनियों को सम्मन भेजा था।

Wednesday, January 18, 2012

इंटेलीजेंट बच्चा पैदा करने के लिए दिया अनोखा विज्ञापन


चेन्नई। संतान मेधावी हो, इसकी चाहत में चेन्नई का एक दंपती ऑनलाइन विज्ञापन देकर ऐसे शुक्राणु दानकर्ता की तलाश में है जो संभवत: आईआईटी से पढ़ा हो। इस कृत्रिम बीजारोपण के लिए दंपती ने 20 हजार रुपए की कीमत तय की है।

दंपती ने अपने विज्ञापन में कहा है कि शुक्राणु के लिए उपयुक्त उम्मीदवार को आईआईटी का छात्र होना चाहिए। उसे स्वस्थ, लंबा और बिना किसी बुरी आदत वाला होना चाहिए और संभव हो सके तो वह गोरा हो।

दंपती ने इसके लिए 20 हजार रुपए की कीमत तय की है लेकिन अगर व्यक्ति देखने में अच्छा हुआ और 'सही व्यक्ति' हुआ तो वे रकम को बढ़ा भी सकते हैं। दंपति का कहना है कि वे अपना परिवार प्यार और समृद्धि के साथ शुरू करना चाहते हैं लेकिन विज्ञापन ने आईआईटी-मद्रास के छात्रों को उकसा दिया है और वे इसे 'पागलपन और हास्यास्पद' बता रहे हैं।

Tuesday, December 27, 2011

अन्ना 2011 के रियल हीरो


नई दिल्‍ली. इस साल के 'रियल हीरो' अन्‍ना हजारे की लोकप्रियता में अचानक तेज गिरावट आई है। यह गिरावट कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद वर्मा और बीएमसी के पूर्व डिप्‍टी कमिश्‍नर जीआर खैरनार के आरोपों के बाद आई। दोनों का आरोप है कि अन्‍ना 1965 में भारत-पाकिस्‍तान की जंग के दौरान युद्ध के मैदान से भाग गए थे। हालांकि अन्‍ना और उनके साथी इस आरोप को लगातार गलत बताते रहे हैं।
Dainikbhaskar.com पर यह जानने के लिए कि जनता की नजर में साल 2011 का 'रियल हीरो' (जिसने करोड़ों भारतीयों के चेहरे पर बिखेर दी मुस्‍कान) चुनने के लिए एक रायशुमारी कराई गई। शुक्रवार से सोमवार शाम तक चले इस ऑनलाइन पोल में अन्‍ना शुरू से आखिर तक बाकी सभी शख्‍सीयतों पर हावी रहे। रविवार तक 92 फीसदी लोगों की नजर में अन्‍ना 'रियल हीरो' थे, लेकिन जब उन पर 'भगोड़ा' होने का आरोप लगा, उसके बाद से उनकी लोकप्रियता थोड़ी घटती गई और सोमवार शाम तक यह आंकड़ा गिर कर 81 फीसदी पर आ गया। रायशुमारी में करीब 17 हजार लोगों ने भाग लिया।