Thursday, January 19, 2012
फेसबुक क्रांति के नाम रहा बीता साल....
आज के समय में फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स द्वारा एक बहुत बड़ा राजनीतिक रोल निभा रहा है। केवल अरब देशों में ही नहीं बल्कि चीन और दूसरे देशों में भी यह एक राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसका फैलाव इतना ज्यादा हो गया है कि लोकतांत्रिक देशों में भी इस पर नियंत्रण की कोशिशें चल रही हैं।जानकारों का कहना है कि होस्नी मुबारक सरकार द्वारा 27 जनवरी को नेट और मोबाइल पर प्रतिबंध लगाना एक बहुत बड़ी भूल थी और इसने लोगों को एक जगह इकट्ठा होने का मौका दे दिया जो अंतत: उनके शासन के पतन तक चला। मिस्र के तहरीर चौंक पर नाराज लोगों का तांता लगता चला गया और मुबारक की शासन से पकड़ ढीली होती चली गई।
लोगों ने इस साइट्स का खूब जमकर इस्तेमाल किया ताकि सरकार की हकीकत को सामने लाया जा सके। एक युवा ने मिस्र के एक पुलिस अधिकारी को अपने पुलिस थाने से ड्रग बेचते हुए दिखाने वाला एक वीडियो यू-ट्यूब पर डाल दिया। दरअसल इन देशों में लोग बहुत समय से दबे हुए थे और सरकारी अत्याचारों को झेल रहे थे। लेकिन ज्यों ही ट्यूनीशिया में क्रांति हुई लोगों में एक उत्साह जाग गया और लोग सड़कों पर उतर आए।
सरकारें लोगों का मूड भांपने में असफल रही और गलतियों पर गलतियां करती रही। जिसका परिणाम आखिरकार तानाशाहों की सत्ता के खात्मे के रूप में सामने आया। जहां तक लोकतांत्रिक देशों की बात है तो वहां सरकारें अब इन साइट्स के डर रही हैं।
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