विस्फोटक बल्लेबाजी के पर्याय बन चुके वीरेन्द्र सहवाग को यदि आधुनिक क्रिकेट का रजनीकांत कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। पर्दे की दुनिया में जिस तरह रजनीकांत का कोई सानी नहीं है उसी तरह क्रिकेट की दुनिया में वीरू का कोई मुकाबला नहीं है।
बॉलीवुड हो या टालीवुड रजनीकांत पर्दे पर असंभव कामों को ऐसे अंजाम दे जाते हैं जैसे वह बच्चों का खेल हो। उसी तरह टेस्ट हो या वनडे वीरू की विस्फोटक बल्लेबाजी भी तमाम ऐसे रिकॉर्ड बना जाती है जिनके बारे में सोचना भी कल्पना से परे है। इंदौर में वेस्टइंडीज के खिलाफ चौथे वनडे में सहवाग ने 219 रन बनाकर अपने ही आदर्श सचिन तेंदुलकर का 200 रन का जब रिकॉर्ड तोड़ा था तो उसे एक अद्भुत प्रयास कहा गया।
सचिन के 200 बनाने तक यह अटकलें लगती रहीं थी कि वनडे का पहला दोहरा शतक किसके नाम होगा। लेकिन उसके अगले ही वर्ष सहवाग ने जिस आसानी से सचिन का रिकॉर्ड तोड़ा और 219 रन बनाए उसने क्रिकेट पंडितों और प्रशंसकों को हैरत में डाल दिया। वनडे में इतनी बड़ी पारी इतने सहज भाव से इससे पहले कभी नहीं खेली गई।
शायद वीरू अगर 50 ओवर तक टिक जाते तो उनका बल्ला 250 का आंकड़ा भी पार कर जाता। यह महान पारी खेलकर सहवाग अब पांचवें और अंतिम वनडे के लिए रजनीकांत के शहर चेन्नई पहुंच गए हैं। यही वह शहर है जहां मार्च 2008 में सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 319 रन की अद्भुत पारी खेली थी।
सहवाग ने अपने 219 रन 149 गेंदों में बनाए थे जबकि टेस्ट मैच में उनके 319 रन सिर्फ 304 गेंदों में 42 चौकों और पांच छक्कों की मदद से बने थे। इन्हीं आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि टेस्ट हो या वनडे वीरू के खेलने का अंदाज कभी नहीं बदल सकता। सिनेमा के पर्दे पर रजनीकांत के एक्शन दर्शकों को दातों तले उंगलियां दबाने के लिए मजबूर कर देते हैं। ठीक उसी तरह वीरू के बल्ले से निकलते चौके छक्के भी दर्शकों को हतप्रभ कर देते हैं।
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