Tuesday, December 27, 2011
अन्ना 2011 के रियल हीरो
नई दिल्ली. इस साल के 'रियल हीरो' अन्ना हजारे की लोकप्रियता में अचानक तेज गिरावट आई है। यह गिरावट कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद वर्मा और बीएमसी के पूर्व डिप्टी कमिश्नर जीआर खैरनार के आरोपों के बाद आई। दोनों का आरोप है कि अन्ना 1965 में भारत-पाकिस्तान की जंग के दौरान युद्ध के मैदान से भाग गए थे। हालांकि अन्ना और उनके साथी इस आरोप को लगातार गलत बताते रहे हैं।
Dainikbhaskar.com पर यह जानने के लिए कि जनता की नजर में साल 2011 का 'रियल हीरो' (जिसने करोड़ों भारतीयों के चेहरे पर बिखेर दी मुस्कान) चुनने के लिए एक रायशुमारी कराई गई। शुक्रवार से सोमवार शाम तक चले इस ऑनलाइन पोल में अन्ना शुरू से आखिर तक बाकी सभी शख्सीयतों पर हावी रहे। रविवार तक 92 फीसदी लोगों की नजर में अन्ना 'रियल हीरो' थे, लेकिन जब उन पर 'भगोड़ा' होने का आरोप लगा, उसके बाद से उनकी लोकप्रियता थोड़ी घटती गई और सोमवार शाम तक यह आंकड़ा गिर कर 81 फीसदी पर आ गया। रायशुमारी में करीब 17 हजार लोगों ने भाग लिया।
सनसनीखेज खुलासा: मध्यप्रदेश के इस जिले में मिला 'अकूत' सोने का भण्डार
भोपाल.देश में सोना उत्पादन करने वाली कर्नाटक की कोलार गोल्ड माइन में सोने का भंडार खत्म होने के बाद बड़ी मात्रा में इस मूल्यवान पीली धातु की खोज में प्रदेश को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। प्रदेश में खनिजों की तलाश करने वाली जियो मैसूर सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को सिंगरौली जिले के गुरहर पहाड़ में सोने का यह भंडार मिला है।
सेटेलाइट सर्वे में जमीन के नीचे सोना होने के संकेत के बाद कंपनी ने प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस लेकर ड्रिलिंग के जरिए जमीन के नीचे इस धातु का पता लगाया। कंपनी द्वारा 21 वर्ग किमी के जिस क्षेत्र के लिए पूर्वेक्षण अनुमति ली, उसमें से तीन किलोमीटर लंबी पट्टी में सोने का भंडार मिला है।
अब तक करीब दो हजार मीटर तक कंपनी खुदाई कर चुकी है, जिसमें 17 मीट्रिक टन सोना मिलने का अनुमान लगाया गया है। अगले एक साल में यहां दस हजार मीटर खुदाई की जाएगी। 17 हजार किलो हीरे के बाद अब मध्यप्रदेश की धरती सोना भी उगलेगी। सिंगरौली जिले के तीन किमी लंबे क्षेत्र में लगभग 17 हजार किलो सोने का भंडार मिला है। जबकि चार स्थानों पर खोज जारी है।
नहीं बनानी पड़ेंगी कोलार जैसी सुरंगें : उम्मीद की जा रही है कि इस खुदाई में सोने का भंडार और बढ़ सकता है। खास बात यह है कि टीलेनुमा गुरहर पहाड़ से सोना निकालने के लिए कोलार की तरह सुरंगें नहीं बनानी पड़ेंगी।
Wednesday, December 21, 2011
सरकार को पहले से थी गीता पर प्रतिबंध की मुहिम की जानकारी
नई दिल्ली.रूस में गीता को 'उग्रवादी साहित्य' बताकर इस पर प्रतिबंध लगाने की मुहिम की जानकारी केंद्र सरकार को पहले से थी। प्रधानमंत्री कार्यालय को एक नवम्बर को लिखे पत्र में जानकारी दी गई थी कि रूस की एक अदालत में यह मामला विचाराधीन है। लेकिन इस दिशा में बहुत कम कार्रवाई की गई। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के...
Monday, December 19, 2011
गांगुली ने चैपल को कहा पागल.....
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने पूर्व कोच ग्रेग चैपल पर निशाना साधते हुए उन्हें पागल करार दिया है। उन्होंने कहा कि चैपल अच्छे कोच नहीं है। उनकी कोचिंग में कोई भी टीम अच्छा नहीं कर सकती है। फिलहाल वे ऑस्ट्रेलिया टीम के साथ जुड़े हुए हैं। यह टीम इंडिया के लिए खुशी की बात हो सकती है। क्योंकि वे जिस टीम के करीब रहते हैं, उसका बुरा होना तय है, क्योंकि उनके पास कोचिंग का कोई तरीका ही नहीं है।
गांगुली ने कहा कि चैपल पागल हैं। वे जब टीम इंडिया के कोच बनकर आए थे, तब ऑस्ट्रेलियाई तरीके से यहां अपना रुतबा जमाने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने चैपल को मना किया था कि टीम इंडिया में इससे सुधार नहीं हो सकता। इसके बावजूद वे नहीं माने और मनमानी करते गए।
Tuesday, December 13, 2011
अपने प्रेम को कैसे बनाया जा सकता हैं अजर-अमर
महाभारत का युद्ध खत्म हो गया था। युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर की राजगादी संभाल ली थी। सब कुछ सामान्य हो रहा था। एक दिन वो घड़ी भी आई जो कोई पांडव नहीं चाहता था। भगवान कृष्ण द्वारिका लौट रहे थे। सारे पांडव दु:खी थे। कृष्ण उन्हें अपना शरीर का हिस्सा ही लगते थे, जिसके अलग होने के भाव से ही वे कांप जाते थे। लेकिन कृष्ण को तो जान ही था।
पांचों भाई और उनका परिवार कृष्ण को नगर की सीमा तक विदा करने आया। सब की आंखों में आंसू थे। कोई भी कृष्ण को जाने नहीं देना चाहता था। भगवान भी एक-एक कर अपने सभी स्नेहीजनों से मिल रहे थे। सबसे मिलकर उन्हें कुछ ना कुछ उपहार देकर कृष्ण ने विदा ली। अंत में वे पांडवों की माता और अपनी बुआ कुंती से मिले।
भगवान ने कुंती से कहा कि बुआ आपने आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा। आज कुछ मांग लीजिए। मैं आपको कुछ देना चाहता हूं। कुंती की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने रोते हुए कहा कि हे कृष्ण अगर कुछ देना ही चाहते हो तो मुझे दु:ख दे दो। मैं बहुत सारा दु:ख चाहती हूं। कृष्ण आश्चर्य में पड़ गए।
कृष्ण ने पूछा कि ऐसा क्यों बुआ, तुम्हें दु:ख ही क्यों चाहिए। कुंती ने जवाब दिया कि जब जीवन में दु:ख रहता है तो तुम्हारा स्मरण भी रहता है। हर घड़ी तुम याद आते हो। सुख में तो यदा-कदा ही तुम्हारी याद आती है। तुम याद आओगे तो में तुम्हारी पूजा और प्रार्थना भी कर सकूंगी।
प्रसंग छोटा सा है लेकिन इसके पीछे संदेश बहुत गहरा है। अक्सर हम भगवान को सिर्फ दु:ख और परेशानी में ही याद करते हैं। जैसे ही परिस्थितियां हमारे अनुकूल होती हैं, हम भगवान को भूला देते हैं। जीवन में अगर प्रेम का संचार करना है तो उसमें प्रार्थना की उपस्थिति अनिवार्य है। प्रेम में प्रार्थना का भाव शामिल हो जाए तो वह प्रेम अखंड और अजर हो जाता है।
हम प्रेम के किसी भी रिश्ते में बंधे हों, वहां परमात्मा की प्रार्थना के बिना भावनाओं में प्रभाव उत्पन्न करना संभव नहीं है। इसलिए परमात्मा की प्रार्थना और अपने भीतरी प्रेम को एक कीजिए। जब दोनों एक हो जाएंगे तो हर रिश्ते में प्रेम की मधुर महक को आप महसूस कर सकेंगे।
पांचों भाई और उनका परिवार कृष्ण को नगर की सीमा तक विदा करने आया। सब की आंखों में आंसू थे। कोई भी कृष्ण को जाने नहीं देना चाहता था। भगवान भी एक-एक कर अपने सभी स्नेहीजनों से मिल रहे थे। सबसे मिलकर उन्हें कुछ ना कुछ उपहार देकर कृष्ण ने विदा ली। अंत में वे पांडवों की माता और अपनी बुआ कुंती से मिले।
भगवान ने कुंती से कहा कि बुआ आपने आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा। आज कुछ मांग लीजिए। मैं आपको कुछ देना चाहता हूं। कुंती की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने रोते हुए कहा कि हे कृष्ण अगर कुछ देना ही चाहते हो तो मुझे दु:ख दे दो। मैं बहुत सारा दु:ख चाहती हूं। कृष्ण आश्चर्य में पड़ गए।
कृष्ण ने पूछा कि ऐसा क्यों बुआ, तुम्हें दु:ख ही क्यों चाहिए। कुंती ने जवाब दिया कि जब जीवन में दु:ख रहता है तो तुम्हारा स्मरण भी रहता है। हर घड़ी तुम याद आते हो। सुख में तो यदा-कदा ही तुम्हारी याद आती है। तुम याद आओगे तो में तुम्हारी पूजा और प्रार्थना भी कर सकूंगी।
प्रसंग छोटा सा है लेकिन इसके पीछे संदेश बहुत गहरा है। अक्सर हम भगवान को सिर्फ दु:ख और परेशानी में ही याद करते हैं। जैसे ही परिस्थितियां हमारे अनुकूल होती हैं, हम भगवान को भूला देते हैं। जीवन में अगर प्रेम का संचार करना है तो उसमें प्रार्थना की उपस्थिति अनिवार्य है। प्रेम में प्रार्थना का भाव शामिल हो जाए तो वह प्रेम अखंड और अजर हो जाता है।
हम प्रेम के किसी भी रिश्ते में बंधे हों, वहां परमात्मा की प्रार्थना के बिना भावनाओं में प्रभाव उत्पन्न करना संभव नहीं है। इसलिए परमात्मा की प्रार्थना और अपने भीतरी प्रेम को एक कीजिए। जब दोनों एक हो जाएंगे तो हर रिश्ते में प्रेम की मधुर महक को आप महसूस कर सकेंगे।
भाई साहब! इन्हें अब विस्फोटक वीरू नहीं, रजनीकांत कहो
विस्फोटक बल्लेबाजी के पर्याय बन चुके वीरेन्द्र सहवाग को यदि आधुनिक क्रिकेट का रजनीकांत कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। पर्दे की दुनिया में जिस तरह रजनीकांत का कोई सानी नहीं है उसी तरह क्रिकेट की दुनिया में वीरू का कोई मुकाबला नहीं है।
बॉलीवुड हो या टालीवुड रजनीकांत पर्दे पर असंभव कामों को ऐसे अंजाम दे जाते हैं जैसे वह बच्चों का खेल हो। उसी तरह टेस्ट हो या वनडे वीरू की विस्फोटक बल्लेबाजी भी तमाम ऐसे रिकॉर्ड बना जाती है जिनके बारे में सोचना भी कल्पना से परे है। इंदौर में वेस्टइंडीज के खिलाफ चौथे वनडे में सहवाग ने 219 रन बनाकर अपने ही आदर्श सचिन तेंदुलकर का 200 रन का जब रिकॉर्ड तोड़ा था तो उसे एक अद्भुत प्रयास कहा गया।
सचिन के 200 बनाने तक यह अटकलें लगती रहीं थी कि वनडे का पहला दोहरा शतक किसके नाम होगा। लेकिन उसके अगले ही वर्ष सहवाग ने जिस आसानी से सचिन का रिकॉर्ड तोड़ा और 219 रन बनाए उसने क्रिकेट पंडितों और प्रशंसकों को हैरत में डाल दिया। वनडे में इतनी बड़ी पारी इतने सहज भाव से इससे पहले कभी नहीं खेली गई।
शायद वीरू अगर 50 ओवर तक टिक जाते तो उनका बल्ला 250 का आंकड़ा भी पार कर जाता। यह महान पारी खेलकर सहवाग अब पांचवें और अंतिम वनडे के लिए रजनीकांत के शहर चेन्नई पहुंच गए हैं। यही वह शहर है जहां मार्च 2008 में सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 319 रन की अद्भुत पारी खेली थी।
सहवाग ने अपने 219 रन 149 गेंदों में बनाए थे जबकि टेस्ट मैच में उनके 319 रन सिर्फ 304 गेंदों में 42 चौकों और पांच छक्कों की मदद से बने थे। इन्हीं आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि टेस्ट हो या वनडे वीरू के खेलने का अंदाज कभी नहीं बदल सकता। सिनेमा के पर्दे पर रजनीकांत के एक्शन दर्शकों को दातों तले उंगलियां दबाने के लिए मजबूर कर देते हैं। ठीक उसी तरह वीरू के बल्ले से निकलते चौके छक्के भी दर्शकों को हतप्रभ कर देते हैं।
बॉलीवुड हो या टालीवुड रजनीकांत पर्दे पर असंभव कामों को ऐसे अंजाम दे जाते हैं जैसे वह बच्चों का खेल हो। उसी तरह टेस्ट हो या वनडे वीरू की विस्फोटक बल्लेबाजी भी तमाम ऐसे रिकॉर्ड बना जाती है जिनके बारे में सोचना भी कल्पना से परे है। इंदौर में वेस्टइंडीज के खिलाफ चौथे वनडे में सहवाग ने 219 रन बनाकर अपने ही आदर्श सचिन तेंदुलकर का 200 रन का जब रिकॉर्ड तोड़ा था तो उसे एक अद्भुत प्रयास कहा गया।
सचिन के 200 बनाने तक यह अटकलें लगती रहीं थी कि वनडे का पहला दोहरा शतक किसके नाम होगा। लेकिन उसके अगले ही वर्ष सहवाग ने जिस आसानी से सचिन का रिकॉर्ड तोड़ा और 219 रन बनाए उसने क्रिकेट पंडितों और प्रशंसकों को हैरत में डाल दिया। वनडे में इतनी बड़ी पारी इतने सहज भाव से इससे पहले कभी नहीं खेली गई।
शायद वीरू अगर 50 ओवर तक टिक जाते तो उनका बल्ला 250 का आंकड़ा भी पार कर जाता। यह महान पारी खेलकर सहवाग अब पांचवें और अंतिम वनडे के लिए रजनीकांत के शहर चेन्नई पहुंच गए हैं। यही वह शहर है जहां मार्च 2008 में सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 319 रन की अद्भुत पारी खेली थी।
सहवाग ने अपने 219 रन 149 गेंदों में बनाए थे जबकि टेस्ट मैच में उनके 319 रन सिर्फ 304 गेंदों में 42 चौकों और पांच छक्कों की मदद से बने थे। इन्हीं आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि टेस्ट हो या वनडे वीरू के खेलने का अंदाज कभी नहीं बदल सकता। सिनेमा के पर्दे पर रजनीकांत के एक्शन दर्शकों को दातों तले उंगलियां दबाने के लिए मजबूर कर देते हैं। ठीक उसी तरह वीरू के बल्ले से निकलते चौके छक्के भी दर्शकों को हतप्रभ कर देते हैं।
Subscribe to:
Posts (Atom)