Saturday, November 27, 2010

दलाई लामा से 'दोस्‍ती' पर 42 अरब रुपये की चपत दे सकता है ची

Source: Venkatesan Vembu, DNA | Last Updated 14:57(27/11/10)

हांगकांग. चीन अपनी आर्थिक हैसियत का इस्तेमाल अपने राजनैतिक फायदे के लिए कर रहा है। अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन उन देशों के साथ व्यापार कम कर देता है जो देश तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा का स्वागत करते हैं। इस संबंध में की गई स्टडी के मुताबिक दुनिया के वे देश जो दलाई लामा की मेजबानी करते हैं उनपर चीन अपनी आर्थिक ताकत की धौंस जमाता है। ऐसे देशों द्वारा चीन के लिए होने वाले निर्यात पर ८.१ % से १६.९ % तक का असर पड़ता है। इस स्टडी को आधार मानकर ८ फीसदी के हिसाब से असर का आकलन करने पर भारत को ही करीब ४२ अरब रुपये का घाटा होने का आंकड़ा सामने आता है। भारत द्वारा चीन को करीब ३ खरब ३७ अरब रुपये का निर्यात किया जाता है।

शोधकर्ताओं एंड्रियस फच्स और निल्स हेंड्रिक क्लैन के मुताबिक अगर किसी देश का राजनीतिक नेतृत्व दलाई लामा का स्वागत करता है तो चीन उस देश द्वारा किए जाने वाले निर्यात में कटौती करता है। कटौती का दायरा दलाई लामा का स्वागत करने वाले नेता के कद पर निर्भर करता है। अगर देश की आर्थिक हैसियत अच्छी है तो उसका असर ज़्यादा होगा और अगर देश कमजोर है तो असर कम होगा। शोधकर्ताओं के मुताबिक दलाई लामा का स्वागत करने वाले देशों को चीन की आर्थिक मार करीब दो साल झेलनी पड़ती है।

गोटिनजन यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं एंड्रियस फच्स और निल्स हेंड्रिक क्लैन ने चीन के साथ दुनिया के १५९ देशों के व्यापार संबंधों पर शोध कर यह निष्कर्ष निकाला है। गौरतलब है कि तिब्बत की आज़ादी के लिए दलाई लामा लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। वे भारत में राजनैतिक शरण लिए हुए हैं। तिब्बत पर चीन का नियंत्रण है।

दलाई लामा से कतराते हैं एशियाई देश
स्टडी के मुताबिक तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा का स्वागत करने में एशियाई देश कतराते हैं। गोटिनजन यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं एंड्रियस फच्स और निल्स हेंड्रिक क्लैन के मुताबिक चीन से नजदीक और सीमाएं साझा करने वाले देश चीन के साथ किसी भी तरह का विवाद नहीं चाहते हैं। उनके मुताबिक यही वजह है कि ज़्यादातर एशियाई देश दलाई लामा को अपने यहां आमंत्रित नहीं करते हैं।

चीन को भी होता है घाटा
दूसरे देशों के निर्यात घटाने से चीन द्वारा किए जाने वाले निर्यात पर भी असर पड़ता है। जानकार मानते हैं कि चीन की अंदरूनी राजनीति पर ऐसे फैसलों का सकारात्मक असर पड़ता है। यही वजह है कि चीन अपना नुकसान होने के बावजूद इसी नीति पर अमल करता है।

(फोटो कैप्‍शन: पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ दलाई लामा की फाइल फोटो)

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